नफिसा सय्यद --- मला आश्चर्यचकित केलस..ह्या गोष्टीने...असच लिहित रहा...
अनकही – नफिसा सय्यद
पड़ोसी के देहलीज़ में खड़े वो अंदर रसोई में बैठे सबकी थालियों को ताक रही थी.
आँखों में भूक... पेट में गड्ढ़ा... सुबह से पानी के सिवा कोई और स्वाद जुबान पर था ही नहीं.
सना ने मुन्नी को देखा यु खड़े.
उसकी आँखों में लगी भूक को भी उसने पढ़ लिया.
फिर बड़ी मोहब्बत से उसका हाथ थामे उसे तक़रीबन खींचकर रसोई में ले आयी.
अम्मी मुन्नी को भी परोस दो खाना.
सहमी सी मुन्नी कश्मकश में थी.
सना पूछने लगी, "क्या हुआ कोई बात नहीं खा लो खाना..."
मुन्नी उठ कड़ी हुयी. अपनी भूक को छुपाये कहने लगी.
"नहीं नहीं... घर पर अम्मी राह देख रही हैं."
(उसने भी तो सुबह से कुछ खाया नहीं हैं....) ये वो कह नाही पायी