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कहानी - अंजली कारंजकर

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बहार आहे हे लेखन.....कहाणीला एक व्यक्तित्व देऊन टाकले आहे....

कहानी - अंजली कारंजकर

सदियोसे सून रहे है हम

इन्हे

नदी के पास

तालाब के इर्दगीर्द

समंदर के किनारे पर

कई छोटी छोटी

कहानियाँ

अनगिनत है कहानियाँ

इन कहानियोमे जुडी

कितनी और कहानियाँ

कविता में

प्रार्थना में

अवकाश में

अंधेरे में

छुपी होती है

एक कहानी

इन्हे सुनो तो जन्म

लेती है और एक कहानी

कही दूर जाके

छोड आओ तो भी

पीछे ही खडी मिलती

है कहानी

कहानी मुसलमान होती है

कहानी इसाई होती है

कहानी पाक होती है

कभी वो नापाक होती है

इन्हे नापने का कोई यंत्र नही होता

इनकी उगने का कोई मौसम नही होता

इनमें जो जो बसा है

वो वो उसिका हो जाता है

तुम्हे कभी मिली

या नही भी मिली

कभी छुके निकल जाये

तो इसे जाने न देना

इसे हमारी नही हमे इनकी जरुरत है

तुम खत्म हो सकते हो

कहानी खत्म नही होती

लिखित

या

अलिखित

उन्हे सोंप देना कही

नाजूक हातोमे


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