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जल्दी करो - शिल्पा कुलकर्णी जठार

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भावविभोर केले ह्या नुक्कड कथने....हिंदी...आहे..शिल्पा शाब्बास...!! आजच्या दोन्ही कथा एकमेकींशी किती विरोधाभास दाखवत आहेत...

विक्रम

जल्दी करो - शिल्पा कुलकर्णी जठार

वो नयी नवेली दुल्हन…

बिदाई को कुछ ही पल बाकी थे। दिल में बहोत कुछ था, पर किसी को बोल नहीं पा रही थी।

खुद को समझा रही थी । उसके मन में था ये सब....

“ए हसीन वक़्त थोडा तो थम जा| कुछ यादे है, जिन्हे साथ लेके चलना है, जरासा रुक जा। कुछ अपने बिछड रहे है, मिल तो लूँ उनको। कुछ हसरतें पीछे छूट रही है, याद कर लूँ उनको। कुछ सपने बिख़र रहे है, समेट लूँ उनको। जानती हूँ मैं, वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए, पर धीमें चलना जरा। देख लूँ की कोई दिल ना टूटे, कोई अपना ना छूटे… एक धागा बंधा रहे हमेंशा उनके साथ, जिनके साथ कभी मेहसूस किया था अपनापन। जिनके बिछड़नेके खयाल से भी कभी तेज होती थी धड़कन। फिर ले जाना तुम मुझको, जहाँ है मेरा नया बसेरा| सच कहती हूँ, संभाल लूँगी मैं खुद को जब तक होगा सवेरा”

इतनेमें उसके ससुराल वाले आए और बोले "बेटी, जल्दी करो, वरना पहुँचनेमे देर हो जाएगी”


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